कांग्रेस की 5 चूक- अपने विधायक दल का नेता चुना नहीं, मीटिंग-मीटिंग खेलते रहे

  • राज्यपाल को शिवसेना को समर्थन देने का लिखित पत्र अब तक नहीं दिया

  • राज्य में वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए अपेक्षित फुर्ती कांग्रेस नेतृत्व ने नहीं दिखाई



मुंबई (विनोद यादव). महाराष्ट्र में हुए 'रातनीतिक खेल' के लिए कांग्रेस-राकांपा गठबंधन से हुई पांच बड़ी चूक भी जिम्मेदार मानी जा रही है। दोनों दलों से सबसे बड़ी गलती 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के लगभग 30 दिन बाद तक लिखित रूप से शिवसेना को समर्थन देने और उसके साथ मिलकर सरकार बनाने का राज्यपाल को पत्र न देने की हुई है। 


पहली गलती: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का जनादेश खंडित होने के बावजूद कांग्रेस की ओर से राज्य में वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए जो फुर्ती दिखाई जानी चाहिए थी, वह नजर नहीं आ रही थी। इसके विपरीत कांग्रेस के नेता कभी दिल्ली तो कभी मुंबई में मीटिंग-मीटिंग का खेल खेलते रहे। जिसकी वजह से भाजपा को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 'रातनीति' खेलने का पूरा मौका मिला।


दूसरी गलती: विधानसभा चुनाव परिणाम आने के कुछ घंटों बाद ही शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भाजपा को ढ़ाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद देने के वादे की याद दिलाई थी। इसके साथ ही उन्होंने शिवसेना के समक्ष सभी प्रकार के पर्याय खुले होने की बात स्पष्ट रूप से कही थी। उद्धव ठाकरे के इस बयान के बाद भाजपा सतर्क हो गई, परंतु कांग्रेस उनके मूड को भांपने में विफल रही। यहां कांग्रेस से दूसरी बड़ी चूक हुई।


तीसरी गलती: कांग्रेस से तीसरी गलती तब हुई जब भाजपा ने सरकार बनाने का दावा नहीं करने की बात कही और राकांपा की ओर से तैयारी होने के बावजूद कांग्रेस ने फुर्ती दिखाते हुए शिवसेना को समर्थन का पत्र नहीं सौंपा। यदि जिस दिन शिवसेना के नेता राज्यपाल से मिलने गये थे। उसी दिन कांग्रेस ने फैक्स कर राज्यपाल को शिवसेना को समर्थन करने की लिखित जानकारी दे दी होती, तो शिवसेना का सरकार बनाने दावा मजबूत हो जाता। इस दौरान राज्यपाल बहुमत साबित करने का जो वक्त देते उस समय सीमा के भीतर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया जा सकता था। केंद्रीय मंत्रिमंडल से अरविंद सावंत (शिवसेना) ने जब इस्तीफा दिया, तब जाकर कांग्रेस को कहीं एहसास हुआ कि शिवसेना ने सच में भाजपा से 25 से 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया है।


चौथी गलती: कांग्रेस ने चौथी गलती मंत्री पद के लिए बार्गेनिंग करके की, जिसकी वजह से तीनों दलों के नेताओं के बीच संभावित मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गई और सरकार बनाने के लिए दावा करने के बदले तीनों दलों के नेता बैठकों के दौर में मशगूल हो गए। 


पांचवीं गलती: भाजपा के वरिष्ठ नेता नारायण राणे के उस बयान को नजरअंदाज करने की हुई। राणे ने खुलकर कहा था कि मुख्यमंत्री ने मुझे मुलाकात के लिए बुलाया था और मैं भाजपा की सरकार बनाने के लिए जो भी संभव होगा वह करूंगा। इस बयान से साफ हो गया था कि भाजपा पर्दे के पीछे बड़ा सियासी खेल करने की तैयारी में है। इसके बावजूद कांग्रेस द्वारा अब तक विधायक दल का नेता नहीं चुना गया है। 


केंद्र में भाजपा की सरकार और राज्य में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी राज्यपाल हैं। सूबे में 'रातनीति' होने तक कांग्रेस के साथ ही शिवसेना और राकांपा की ओर से इस बाद को संभवत नजरअंदाज किया गया। जिसकी वजह से सरकार बनाने की दहलीज पर शिवसेना के साथ खड़ी कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को फिलहाल सियासी पटखनी मिली है।


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